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\v 21 हम परमेश्‍वर, मशिह येशू आ हुनकर चुनलगेल स्वर्गदुतके सामने अहांके स्पष्‍ट आज्ञा दै छिइ, कोनो भेदभाव बिना यहि नियमसबके पालन करु । आ कोनो बातके लेल पक्षपात नई करु । \v 22 केकरो पर तुरुन्त हात नई राख अनकार (दोसर) के पापके भागी न बनु । आ अपनाके पवित्र राखु ।

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\v 23 अटा पानी मात्रै नहि पिऊ, बल्की पेट के लेल आ स्वस्थ्य ठिक राखेके लेल कैनका दाखमध पिऊ । \v 24 कुछ लोकसबके पाप प्रत्यक्ष होइ छई आ उ सब न्यायी जाँचसे पहिने दोषी प्रमाणीत भ जाइछई । लेकिन कुछ लोकके पाप बादमे प्रगट होइछई । \v 25 वहने कके कुछ बनिया काम सब सेहो प्रत्यक्ष देखल जाइ हई, लेकिन आवर काम सबके नइ नुकाबे सकइय।

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\c 6 \v 1 गुलामीके जुआके तरमे भेल सबलोसब अपना मालिकके पुर्ण सम्मानके योग्य बुझू, जहिसे परमेश्‍वरके नाम आ अपनासबके शिक्षाके निन्दा नैई होइ, \v 2 जई दासके मालिक प्रभु येशू पर विश्‍वास करैहैई उ सबकोइ विश्‍वासमे भाई होइअ ओइकारण से ओकरासबके अवहेलना नई करु । बल्की उ सब मालिकके आदर बढियासे सेवा करेचाही ।

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\v 3 मानु के उ आन तरिकासे शिक्षा दै हई आ परमेश्‍वरके कहल बात अपनासबके विश्‍वासयोग्यके शिक्षा अर्थात अपनासबके प्रभु येशूमशिहके वचनके स्वीकार न ई करैइ हई । आ ओई शिक्षा सं सहमत नई होइय, जे असली भक्‍ती उत्पन करई हई । \v 4 उ आदमी घमण्डी आ अज्ञानी हई । ओकरा झगडा करेकेआ शब्द सबके विषयमे बिना मतलब वाद-विवाद करेके रोग लागल हई । अई प्रकारके वाद-विवाद से दुश्‍मनी, निन्दा आ दोसर लोकसब पर यी शब्दसबसे डाह,कलह,बदनामी आ खराब संखा सब उत्पन करबैछई । \v 5 जेकरा सब के वुद्धि भ्रष्‍ट भ गेल हइ ओहने लोक हरदम झगडा करबैइ छई । उ लोकसब सत्यबातसे दुर रहइछई । जे सब भक्तीके धनिक होइके साधन मानीइछई ।

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अध्याय ६

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