From 7bf6873f1ee77c30163b0a0b32338b3dd42fc4e9 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: kamdev_yadav Date: Fri, 19 Nov 2021 12:13:03 +0545 Subject: [PATCH] Fri Nov 19 2021 12:13:02 GMT+0545 (Nepal Time) --- 05/21.txt | 1 + 05/23.txt | 1 + 06/01.txt | 1 + 06/03.txt | 1 + 06/title.txt | 1 + manifest.json | 7 ++++++- 6 files changed, 11 insertions(+), 1 deletion(-) create mode 100644 05/21.txt create mode 100644 05/23.txt create mode 100644 06/01.txt create mode 100644 06/03.txt create mode 100644 06/title.txt diff --git a/05/21.txt b/05/21.txt new file mode 100644 index 0000000..125d59e --- /dev/null +++ b/05/21.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 21 हम परमेश्‍वर, मशिह येशू आ हुनकर चुनलगेल स्वर्गदुतके सामने अहांके स्पष्‍ट आज्ञा दै छिइ, कोनो भेदभाव बिना यहि नियमसबके पालन करु । आ कोनो बातके लेल पक्षपात नई करु । \v 22 केकरो पर तुरुन्त हात नई राख अनकार (दोसर) के पापके भागी न बनु । आ अपनाके पवित्र राखु । \ No newline at end of file diff --git a/05/23.txt b/05/23.txt new file mode 100644 index 0000000..cf3d561 --- /dev/null +++ b/05/23.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 23 अटा पानी मात्रै नहि पिऊ, बल्की पेट के लेल आ स्वस्थ्य ठिक राखेके लेल कैनका दाखमध पिऊ । \v 24 कुछ लोकसबके पाप प्रत्यक्ष होइ छई आ उ सब न्यायी जाँचसे पहिने दोषी प्रमाणीत भ जाइछई । लेकिन कुछ लोकके पाप बादमे प्रगट होइछई । \v 25 वहने कके कुछ बनिया काम सब सेहो प्रत्यक्ष देखल जाइ हई, लेकिन आवर काम सबके नइ नुकाबे सकइय। \ No newline at end of file diff --git a/06/01.txt b/06/01.txt new file mode 100644 index 0000000..f43f138 --- /dev/null +++ b/06/01.txt @@ -0,0 +1 @@ +\c 6 \v 1 गुलामीके जुआके तरमे भेल सबलोसब अपना मालिकके पुर्ण सम्मानके योग्य बुझू, जहिसे परमेश्‍वरके नाम आ अपनासबके शिक्षाके निन्दा नैई होइ, \v 2 जई दासके मालिक प्रभु येशू पर विश्‍वास करैहैई उ सबकोइ विश्‍वासमे भाई होइअ ओइकारण से ओकरासबके अवहेलना नई करु । बल्की उ सब मालिकके आदर बढियासे सेवा करेचाही । \ No newline at end of file diff --git a/06/03.txt b/06/03.txt new file mode 100644 index 0000000..a2ecde8 --- /dev/null +++ b/06/03.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 3 मानु के उ आन तरिकासे शिक्षा दै हई आ परमेश्‍वरके कहल बात अपनासबके विश्‍वासयोग्यके शिक्षा अर्थात अपनासबके प्रभु येशूमशिहके वचनके स्वीकार न ई करैइ हई । आ ओई शिक्षा सं सहमत नई होइय, जे असली भक्‍ती उत्पन करई हई । \v 4 उ आदमी घमण्डी आ अज्ञानी हई । ओकरा झगडा करेकेआ शब्द सबके विषयमे बिना मतलब वाद-विवाद करेके रोग लागल हई । अई प्रकारके वाद-विवाद से दुश्‍मनी, निन्दा आ दोसर लोकसब पर यी शब्दसबसे डाह,कलह,बदनामी आ खराब संखा सब उत्पन करबैछई । \v 5 जेकरा सब के वुद्धि भ्रष्‍ट भ गेल हइ ओहने लोक हरदम झगडा करबैइ छई । उ लोकसब सत्यबातसे दुर रहइछई । जे सब भक्तीके धनिक होइके साधन मानीइछई । \ No newline at end of file diff --git a/06/title.txt b/06/title.txt new file mode 100644 index 0000000..01fe046 --- /dev/null +++ b/06/title.txt @@ -0,0 +1 @@ +अध्याय ६ \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 33eb8db..bd75270 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -74,6 +74,11 @@ "05-11", "05-14", "05-17", - "05-19" + "05-19", + "05-21", + "05-23", + "06-title", + "06-01", + "06-03" ] } \ No newline at end of file