* __[27:1](rc://hi/tn/help/obs/27/01)__ एक दिन, यहूदी धर्म में निपुण एक व्यवस्थापक यीशु के पास उसकी परीक्षा लेने के लिए आया, और कहने लगा, “हे __गुरु__ अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं?”
* __[28:1](rc://hi/tn/help/obs/28/01)__ एक दिन, एक धनवान युवा शासक यीशु के पास आया और उससे पूछा, "अच्छे __शिक्षक__,अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?"
* __[37:2](rc://hi/tn/help/obs/37/02)__ दो दिन बीतने के बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा, “आओ हम फिर यहूदिया को चलें |” चेलों ने उससे कहा “हे __रब्बी__, कुछ समय पहले तो लोग तुझे मरना चाहते थे |”
* __[38:14](rc://hi/tn/help/obs/38/14)__ यहूदा यीशु के पास आया और कहा, “ नमस्कार, __गुरु__,” और उसे चूमा |
* __[49:3](rc://hi/tn/help/obs/49/03)__ यीशु एक महान __शिक्षक__ भी था, और वह अधिकार के साथ बोलता था क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र है |