* “प्रचार” अर्थात आत्मिक या नैतिक सत्य की उद्घोषणा करना और श्रोताओं से प्रतिक्रिया का आग्रह करना है। “शिक्षण” में निर्देशनों पर बल दिया जाता है, अर्थात् मनुष्यों को जानकारी देना या उन्हें शिक्षण प्रदान करना कि किसी कार्य को उन्हें कैसे करना है।
* “प्रचार” अधिकतर “सुसमाचार” शब्द के साथ काम में लिया जाता है।
* बाइबल में, “प्रचार” का का अर्थ प्रायः यह है, सार्वजनिक रूप से किसी ऐसी बात की घोषणा करना है, जिसकी आज्ञा परमेश्वर ने दी है, या मनुष्यों को परमेश्वर के बारे में समझाना कि वह कैसा महान है।
* __[24:2](rc://hi/tn/help/obs/24/02)__ यूहन्ना ने उनसे __कहा__, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है !”
* __[30:1](rc://hi/tn/help/obs/30/01)__ यीशु ने __प्रचार करने__ के लिए और कई अलग- अलग नगरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने शिष्यों को भेजा।
* __[38:1](rc://hi/tn/help/obs/38/01)__ यीशु मसीह ने तीन साल बाद __उपदेश__ और शिक्षा देना आरम्भ किया था। यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वह यरूशलेम में उनके साथ फसह का पर्व मनाना चाहता था, और वह वहाँ मार डाला जाएगा।
* __[45:6](rc://hi/tn/help/obs/45/06)__ तथापि, जहा कही भी वह गए, हर जगह यीशु मसीह का __प्रचार करते रहे__|
* __[45:7](rc://hi/tn/help/obs/45/07)__ वह ९फिलिप्पुस) सामरिया नगर में गया और वहा लोगों को यीशु के बारे में __प्रचार__ किया और वहाँ बहुत से लोगों बचाए गए |
* __[46:6](rc://hi/tn/help/obs/46/06)__तुरन्त ही, शाऊल दमिश्क के यहूदियों से __प्रचार करने लगा__ कि, "यीशु परमेश्वर का पुत्र है!"
* __[46:10](rc://hi/tn/help/obs/46/10)__ फिर कलीसिया ने उन्हें कई अन्य स्थानों में यीशु के बारे में __प्रचार करने__ के लिये भेज दिया |
* __[47:14](rc://hi/tn/help/obs/47/14)__ पौलुस और अन्य मसीही अगुवों ने अनेक शहरों में यीशु का __प्रचार किया__ और लोगों को परमेश्वर के वचन की शिक्षा दी।
* __[50:2](rc://hi/tn/help/obs/50/02)__ जब यीशु पृथ्वी पर रहता था तो उसने कहा, "मेरे चेले दुनिया में हर जगह लोगों को परमेश्वर के राज्य के बारे में शुभ समाचार का __प्रचार करेंगे__, और फिर अन्त आ जाएगा।"