किसी को परीक्षा में डालने का अर्थ है कि उससे गलत काम करवाना।
* परीक्षा में मनुष्य गलत काम करना चाहता है।
* मनुष्य अपने पापी स्वभाव या अन्य मनुष्यों द्वारा परीक्षा में गिरता है।
* शैतान भी मनुष्यों को परमेश्वर की अवज्ञा और परमेश्वर के विरूद्ध पाप करने की परीक्षा में डालता है अनुचित कार्यों के द्वारा।
* शैतान ने यीशु की भी परीक्षा ली थी और उसने अनुचित काम करवाना चाहता था परन्तु यीशु ने उसकी परीक्षाओं पर जय पाकर पाप नहीं किया।
* “परमेश्वर की परीक्षा” उसे कुछ गलत करने की कोशिश नहीं कर रहा है, बल्कि हठीलेपन और अनाज्ञाकारिता में बने रहता है जब तक परमेश्वर उसे दण्ड देकर प्रतिक्रिया नहीं करता। इसे भी “परमेश्वर की परीक्षा” लेना कहते हैं।
## अनुवाद के सुझाव: ##
* "परीक्षा करना" का अनुवाद “पाप करवाने का प्रयास करना” या “प्रलोभन देना” या “पाप करने की अभिलाषा जगाना।”।
* “परीक्षा” के अनुवाद रूप हो सकते हैं, “परीक्षा में गिरानेवाली बातें” या “किसी को पाप का लालच देने वाली बातें” या “ऐसी बातें जो अनुचित काम करने की अभिलाषा उत्पन्न करें।”
परमेश्वर की परीक्षा के संदर्भ में इसका अनुवाद “परमेश्वर को परखना” या “परमेश्वर को जांचना” या “परमेश्वर के धीरज को परखना” या “परमेश्वर द्वारा दण्ड पाने का कारण होना” या “हठीलेपन के कारण परमेश्वर की अवज्ञा करते रहना”।