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तफ्सील

दो किस्म के कोटेशंज़ हैं: बराह-ए-रास्त कोटेशन और ग़ैर मुस्तक़ीम कोटेशन. एक कोटेशन का तर्जुमा करते वक़्त, मित्र जमीन को ये फ़ैसला करने की ज़रूरत है कि उसे बराह-ए-रास्त कोटेशन या ग़ैर मुस्तक़ीम कोटेशन के तौर पर तर्जुमा किया जाये | (देखिये : डायरेक्ट और इनडायरेक्ट कोटेशन)

जब यू उल्टी में बराह-ए-रास्त या ग़ैर मुस्तक़ीम हवाला मौजूद है, तो नोटों में इस का तर्जुमा दूसरे किस्म के इक़तिबास के तौर पर है. तर्जुमा के मश्वरे के साथ शुरू हो सकता है "ये एक बराह-ए-रास्त इक़तिबास के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है:" या "ये ग़ैर मुस्तक़ीमहवाला के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है:" और इस तरह उस की नक़ल-ओ-हरकत की पैरवी की जाएगी. इस के बाद "बराह-ए-रास्त और ग़ैर मुस्तक़ीम कोट" नामी मालूमात के सफ़े पर एक लिंक की जाएगी जो कि दोनों किस्म के कोटेशनों की वज़ाहत करती है |

जब एक इक़तिबास में इस के अंदर एक दूसरी इक़तिबास है तो इस में बराह-ए-रास्त और ग़ैर मुस्तक़ीम हवालाजात के बारे में एक नोट हो सकता है, क्योंकि ये उलझन कर सकता है. कुछ ज़बानों में ये ग़ैर मुस्तक़ीम इक़तिबास के साथ एक बराह-ए-रास्त इक़तिबास और दूसरी इक़तिबास के साथ इन अलफ़ाज़ में से एक को तर्जुमा करने के लिए ज़्यादा क़ुदरती है. ये नोट नामी मालूमात के सफ़े पर एक लिंक के साथ ख़त्म हो जाएगा " कोटस के अंदर कोटस."

तर्जुमा नोट्स की मिसालें

उन्होंने उसे हिदायत दी कि कोई भी नही कहे (लुक 5:14 युएलटी)

  • कोई भी नही कहे - ये एक बराह-ए-रास्त इक़तिबास के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है: "किसी को ना बताएं" ऐसी मालूमात मौजूद है जो वाज़िह तौर पर बयान किया जा सकता है (एटी): "किसी को ना बताना कि आपको शिफा दिया गया है |

यहां तर्जुमा नोट से पता चलता है कि बराह-ए-रास्त इक़तिबास में ग़ैर मुस्तक़ीम इक़तिबासकिस तरह तबदील करने के ले-ए-, अगर ये हदफ़ ज़बान में वाज़िह या ज़्यादा क़ुदरति हो.

फ़सल के वक़्त में रैपरों से कहूँगा, "सबसे पहले घास निकालने और उन्हें बंडल करने के लिए बंडल में बांध लें, लेकिन गंदुम मेरे बनू में जमा करें" (माथव 13:30 युएलटी)

  • में रैपरों से कहूँगा, "सबसे पहले घास निकालने और उन्हें बंडल करने के लिए बंडल में बांध लें, लेकिन गंदुम मेरे बनू में जमा करें” - आप ये ग़ैर मुस्तक़ीम हवाला के तौर पर तर्जुमा कर सकते हैं: "मैं रीपबलों को सबसे पहले पहाड़ों को जमा करने और उन्हें बनने के लिए बंडल में बांध दूंगा, फिर ग़नम को मेरे बनू में जमा करूँगा |” (देखें: डायरेक्ट और इनडायरेक्ट कोटशन)

यहां तर्जुमा नोट से पता चलता है कि बराह-ए-रास्त इक़तिबास में ग़ैर मुस्तक़ीम इक़तिबास किस तरह तबदील करने के ले-ए-, अगर ये हदफ़ ज़बान में वाज़िह या ज़्यादा क़ुदरति हो.