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तर्जुमा जाँच दस्ती

यह दस्ती बयान करती है के बाईबल तर्जुमे को दीगर ज़बानों (OLs) में दुरुस्तगी, वज़ाहत, और क़ुदरतीपन के लिए किस तरह जाँच करें। (गेटवे ज़बानों (GLs) के जाँच की अमल के लिए, देखें गेटवे ज़बान दस्ती). यह तर्जुमा जाँच दस्ती तर्जुमे के लिए मंज़ूरी हासिल करने की अहमियत और ज़बान इलाक़े की कलीसिया के रहनुमाओं से तर्जुमा के अमल पर भी गुफ्तगू करता है।

दस्ती तर्जुमा जाँच के लिए हिदायात के साथ शुरू होती है जो तर्जुमा टीम एक दूसरे के कामों की जाँच के लिए इस्तेमाल करेगी। इन जाँचों में शामिल हैं ज़बानी साथी जाँच और [टीम ज़बानी हिस्सा जाँच]. फिर तर्जुमाकोर सॉफ्टवेयर के साथ तर्जुमा की जाँच के लिए तर्जुमा टीम के इस्तेमाल के लिए हिदायात हैं। इनमें शामिल हैं तर्जुमा अल्फ़ाज़ जाँच और तर्जुमा नोट्स जाँच.

इसके बाद, तर्जुमा टीम को वज़ाहत और क़ुदरतीपन के लिए ज़बान बिरादरी के साथ तर्जुमे के जाँच की ज़रुरत होगी। यह ज़रूरी है क्योंके ज़बान के दूसरे बोलने वाले बातों को कहने के बेहतर तरीक़ों का मशवरा दे सकते हैं जो हो सकता है के तर्जुमा टीम ने न सोचा हो। बाज़ औक़ात तर्जुमा टीम तर्जुमे को अज़ीब ओ ग़रीब शक्ल देती हैं क्योंके वो माख़ज़ ज़बान के अल्फ़ाज़ की बहुत क़रीबी से पैरवी करती हैं। ज़बान के दूसरे बोलने वाले उनको ठीक करने में मदद कर सकते हैं। एक और जाँच जो तर्जुमा टीम इस वक़्त कर सकती है वह है OL पासबान या कलीसिया रहनुमा जाँच. चूँके OL पासबान गेटवे ज़बान (GL) में बाईबल से वाक़िफ हैं, वो GL बाईबल के तर्जुमे की दुरुस्तगी के लिए जाँच कर सकते हैं। वो गलतियाँ भी पकड़ सकते हैं जो तर्जुमा टीम ने नहीं देखा क्योंके तर्जुमा टीम इतने क़रीब है और अपने काम में मुब्तिला है। नीज़, तर्जुमे की टीम में बाईबल के बारे में कुछ महारत या इल्म की कमी हो सकती है जो दूसरे OL पासबानों के पास हो सकती हैं जो तर्जुमे की टीम का हिस्सा नहीं हैं। इस तरह से, पूरी ज़बान बिरादरी इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए मिलकर काम कर सकती है के हदफ़ ज़बान में बाईबल का तर्जुमा दुरुस्त, वाज़े, और क़ुदरती है।

बाईबल के तर्जुमे की दुरुस्तगी की जाँच के लिए मज़ीद जाँच है इसे तर्जुमाकोर में लफ्ज़ सफ़बन्दी टूल का इस्तेमाल करते हुए बाईबल की असल ज़बानों के साथ सफ़बन्द करना। इन तमाम जाँचों को अंजाम देने के बाद, OL कलीसिया नेटवर्क्स के रहनुमा तर्जुमे की नज़रसानी करना और अपने तौसीक़ देना चाहेंगे। क्योंके कलीसियाई नेटवर्क्स के बहुत से रहनुमा तर्जुमे की ज़बान नहीं बोलते, एक वापस तर्जुमा बनाने के लिए भी हिदायात हैं, जो लोगों को ऐसी ज़बान में तर्जुमा जाँच करने की सहूलियत देता है जिसमे वह बोलते नहीं हैं।