परमेश्वर के प्रति “विश्वासयोग्य” होना का अर्थ परमेश्वर की शिक्षाओं पर निरंथर चलते रहने से है। अर्थात उसे पालन करने के द्वारा उसके प्रति वफादार होना।विश्वासयोग्य होने की अवस्था या स्थिति को "विश्वासयोग्यता" कहते है।
* अनेक संदर्भों में “विश्वासयोग्य” का अनुवाद “स्वामीभक्त” या “समर्पित” या “निर्भर करने योग्य” भी किया जा सकता है।
* अन्य संदर्भों में “विश्वासयोग्य” ऐसे शब्दों या उक्तियों द्वारा अनुवाद किया जा सकता है जिनका अर्थ हो, “विश्वास करते रहना” या “परमेश्वर में विश्वास करने और उसके आज्ञापालन में लगे रहना”।
* “विश्वासयोग्य” के अन्य अनुवाद रूप हो सकते हैं, “विश्वास में यत्नशील रहना” या “स्वामीभक्ति” या “विश्वसनीयता” या “परमेश्वर में विश्वास एवं आज्ञापालन”
* __[08:05](rc://hi/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक की बंदीगृह में भी यूसुफ परमेश्वर के प्रति __निष्ठावान__ रहा और परमेश्वर ने उसे आशीष दी।
* __[14:12](rc://hi/tn/help/obs/14/12)__ फिर भी, परमेश्वर अपनी वाचा पर __निष्ठावान__ रहा जो उसने अब्राहम, इसहाक, व याकूब से बाँधी थी।
* __[15:13](rc://hi/tn/help/obs/15/13)__ लोग ने वाचा बाँधी थी कि वे परमेश्वर के प्रति __निष्ठावान__ रहेंगे व उसकी आज्ञाओ का पालन करेंगे।
* __[17:09](rc://hi/tn/help/obs/17/09)__ दाऊद ने कई वर्षों तक न्याय व __निष्ठा__ के साथ शासन किया, और परमेश्वर ने उसे आशीर्वाद दिया। हालांकि, अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उसने परमेश्वर के विरुद्ध भयानक अपराध किया।
* __[18:04](rc://hi/tn/help/obs/18/04)__ तब परमेश्वर ने सुलैमान पर क्रोध किया, और उसकी __अधार्मिकता__ के कारण उसे दंड दिया, और वाचा बाँधी कि सुलैमान की मृत्यु के बाद वह इस्राएल के राज्य को दो भागों में विभाजित कर देंगा।
* __[35:12](rc://hi/tn/help/obs/35/12)__ “उसने पिता को उत्तर दिया कि, ‘देख, मैं इतने वर्ष आप के लिये __ईमानदारी__ से काम कर रहा हूँ,
* __[49:17](rc://hi/tn/help/obs/49/17)__ परन्तु परमेश्वर __विश्वासयोग्य__ है और यह कहता है कि यदि तुम अपने पापों को मान लो, तो वह तुम्हें क्षमा करेगा।
* __[50:04](rc://hi/tn/help/obs/50/04)__ यदि तुम अन्त तक मेरे प्रति __वफादार__ रहोगे, तो परमेश्वर तुम्हें बचाएगा!”