* परमेश्वर ने इस्राएलियों को स्पष्ट निर्देशन दिए कि उनके लिए कौन-कौन से पशु शुद्ध हैं और कौन-कौन से अशुद्ध हैं। अशुद्ध पशु को खाने के लिए और बलि के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं थी।
* कुछ त्वचा रोगों के कारण लोगों को "अशुद्ध" कहा जाता है जब तक कि वे चंगा नहीं होते।
* यदि इस्राएली किसी अशुद्ध वस्तु का स्पर्श करते थे तो उन्हें भी एक निश्चित समय तक अशुद्ध माना जाता था।
* अशुद्ध वस्तुओं को न तो स्पर्श करके और न ही खा करके इस्राएली परमेश्वर की सेवा के लिए पृथक ठहरते थे।
* यह शारीरिक एवं सांसारिक अशुद्धता नैतिक अशुद्धता का प्रतीक थी।
* “अशुद्ध” का अनुवाद “अछूत” या “परमेश्वर के योग्य नहीं” या “शारीरिक अशुद्धता” या “अपवित्र” हो सकता है।
* शैतानी अशुद्ध आत्मा के संदर्भ में “अशुद्ध” का अनुवाद “दुष्ट” या “अपवित्र” किया जा सकता है।
* इस शब्द का अनुवाद आत्मिक अशुद्धता का भाव व्यक्त करे। इसका संदर्भ उस हर एक वस्तु से हो जिसे परमेश्वर ने स्पर्श करने, खाने और बलि चढ़ाने के लिए वर्जित किया है।