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* जब लोग इस तरह की मुहब्बत से दूसरों को मुहब्बत करते हैं, तो वे उन तरीक़ों से काम करते हैं जो वे यह सोचते हैं कि दूसरों की तरक़्क़ी के लिए क्या वजह होगी। ऐसी मुहब्बत ख़ास करके दूसरों को मु’आफ़ करती है।
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* जब लोग इस तरह की मुहब्बत से दूसरों को मुहब्बत करते हैं, तो वे उन तरीक़ों से काम करते हैं जो वे यह सोचते हैं कि दूसरों की तरक़्क़ी के लिए क्या वजह होगी। ऐसी मुहब्बत ख़ास करके दूसरों को मु’आफ़ करती है।
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* यू.एल.बी. में “मुहब्बत” लफ़्ज़ ऐसा ही ख़ुद सुपुर्दगी या मुहब्बत है जब तक कि तर्जुमा का हाशिया अलग मतलब का ज़िक्र न करे।
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* यू.एल.बी. में “मुहब्बत” लफ़्ज़ ऐसा ही ख़ुद सुपुर्दगी या मुहब्बत है जब तक कि तर्जुमा का हाशिया अलग मतलब का ज़िक्र न करे।
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2 नये ‘अहदनामे में लफ़्ज़ का एक और हवाला है, भाईचारे की मुहब्बत या “दोस्त की मुहब्बत या ख़ानदानी फ़र्द की मुहब्बत”
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2. नये ‘अहदनामे में लफ़्ज़ का एक और हवाला है, भाईचारे की मुहब्बत या “दोस्त की मुहब्बत या ख़ानदानी फ़र्द की मुहब्बत”
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* यह लफ़्ज़ दोस्तों और घर के अफ़राद की क़ुदरती मुहब्बत का हवाला देता है।
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* यह लफ़्ज़ दोस्तों और घर के अफ़राद की क़ुदरती मुहब्बत का हवाला देता है।
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* इस का इस्ते’माल ऐसे मज़मूनों में भी हो सकता है जैसे वे दा’वत में ख़ास मक़मों में बैठने की ख़्वाहिश रखते हैं। या’नी उन्हें ऐसा करने की “बहुत ज़्यादा ख़्वाहिश” या “ गहरी चाहत”
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* इस का इस्ते’माल ऐसे मज़मूनों में भी हो सकता है जैसे वे दा’वत में ख़ास मक़मों में बैठने की ख़्वाहिश रखते हैं। या’नी उन्हें ऐसा करने की “बहुत ज़्यादा ख़्वाहिश” या “ गहरी चाहत”
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3 * “मुहब्बत” लफ़्ज़ का हवाला ‘औरत-आदमी में रोमानी रिश्ते की मुहब्बत है ।
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3. * “मुहब्बत” लफ़्ज़ का हवाला ‘औरत-आदमी में रोमानी रिश्ते की मुहब्बत है ।
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4. ‘’अलामती तौर पर इज़हार, “मैंने या’क़ूब से मुहब्बत की है और ‘ऐसौ को नफ़रती जाना है।” यहां “मुहब्बत” लफ़्ज़ का मतलब है कि ख़ुदा ने या’क़ूब को चुना कि ख़ुदा के साथ कलाम के बारे में रहे। इसका तर्जुमा “चुना” भी हो सकता है। ताहम ‘ऐसौ को भी ख़ुदा ने बरकतें दी थी, उसे कलाम के मुता’अल्लिक़ इम्तियाज़ हासिल नहीं थे। “नफ़रती” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया गया है जिसका मतलब है “छोड़ा हुआ” या “नहीं चुना।”
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4. ‘’अलामती तौर पर इज़हार, “मैंने या’क़ूब से मुहब्बत की है और ‘ऐसौ को नफ़रती जाना है।” यहां “मुहब्बत” लफ़्ज़ का मतलब है कि ख़ुदा ने या’क़ूब को चुना कि ख़ुदा के साथ कलाम के बारे में रहे। इसका तर्जुमा “चुना” भी हो सकता है। ताहम ‘ऐसौ को भी ख़ुदा ने बरकतें दी थी, उसे कलाम के मुता’अल्लिक़ इम्तियाज़ हासिल नहीं थे। “नफ़रती” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया गया है जिसका मतलब है “छोड़ा हुआ” या “नहीं चुना।”
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subject: 'Translation Words'
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