A. पौलुस अपनी ख़ुशख़बरी के 'एलान के ज़रिए' ख़ुदा को ख़ुश करना चाहता था।
A. पौलुस ने न तो ख़ुशामद की बातें कीं, और न ही लालच का बहाना किया।