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पर हमारा

“हम” में पौलुस अपने पढ़ने वालों को गिनता है |

हमारा स्वदेश आसमान पर है

“हमारा ख़ानदान आसमान में है”

हम एक मुन्जी ख़ुदावन्द 'ईसा मसीह के वहां से आने के मुन्तज़िर हैं।

“और हम एक मुन्जी ख़ुदावन्द 'ईसा के वहां से लौट कर कर ज़मीन पर आने की इंतज़ार में हैं ।

वह.... हमारी दीनहीन जिस्म की शक्ल बदल कर

“वह.... हमारी कमज़ोर ख़ाकी जिस्म को बदल देगा”

अपनी जलाल की जिस्म के मुताबिक़ बना देगा

“जैसी उसका जलाल का जिस्म है वैसा बना देगा”

अपनी ताक़त के उस असर के मुताबिक़

“इसका तर्जुमा एक नए मुख़्तसर जुमले में किया जा सकता है, “वह हमारी जिस्म की शक्ल बदलकर उसी क़ुदरत से करेगा जिसके ज़रिए' वह सब चीज़ों को अपने क़ाबू में रखता है । (