ur-deva_tn/act/04/34.md

1.2 KiB

बेच

बेचकर बिकी हुई चीज़ओं की क़ीमत लाते थे और उसे रसूलों के सामने रखते थे और अपनी ज़रूरत के मुताबिक़...हर एक को बाँट दिया करते थे बहुत से रास्तबाज़ों ने ऐसा एक बार नहीं,बल्कि बार बार ऐसा किया

रसूलों के सामने रखते थे

ऐसा करने के ज़रिए रास्तबाज़ यह महसूस करते थे कि: 1)उनका दिल बदला जा चुका है और यह कि २)ने'मतों को बांटने का इख़्तियार वे रसूलों को दे रहे थे

जैसे जिसे ज़रूरत होती थी

ऐसा लगता है कि रास्तबाज़ों की ज़रूरतओं पर नज़र रखी जाती थी;बस किसी के कहने पर भी उनसे सामान नहीं लिया जाता था।