ur-deva_tn/2co/12/08.md

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इसके बारे में मैंने ख़ुदावन्द से,

इख़्तियारी तर्जुमा: "जिस जिस्मानी परेशानियों के बारे में ख़ुदावन्द से,"या"इस दर्द के बारे में ख़ुदावन्द से"

"मेरा फ़ज़ल तेरे लिये बहुत है,

"'मेरा फ़ज़ल ही है जो तुझे चाहिए"

मेरी क़ुव्वत कमज़ोरी में साबित होती है"

इख़्तियारी तर्जुमा: "क्योंकि मेरी क़ुदरत तभी ज़ाहिर होती है जब तू दुर्बल होता है.'"

इस वजह से मैं मसीह...में, ख़ुशहूं;

इख़्तियारी तर्जुमा: "यह ही वजह है कि मैं अपनी कमज़ोरियों को ख़ुशक़िस्मत समझता हूँ"

मुसीबतोंमें,

इख़्तियारी तर्जुमा: "मुसीबत जिन्हें मैं मसीह के लिए उठाता हूँ,"

क्योंकि जब मैं कमज़ोर होता हूं,तभी ताक़तवर होता हूं॥

इख़्तियारी तर्जुमा: "क्योंकि मेरी कमज़ोरी में मसीह का क़ुव्वत बहुत ज़्यादा हो जाती है"