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इसके साथ ही 'ईसा के ज़रिए' बहुतो की शिफ़ा का कहानी ख़त्म होता है।

जब साम हुई।

यू.डी.बी. तर्जुमा में [MRK 1:21] और MRK 1:30 से नतीजा निकाला गया है कि जब 'ईसा कफ़रनहूम में आया तब वह सब्त का दिन था क्योंकि यहूदी उस दिन न तो काम करते थे और न ही सफ़र करते थे, वे शाम तक रूके रहे कि 'ईसा के पास रोमियों को लेकर आएं। आपका सब्त के दिन का जिक्र नहीं करता है जब तक कि गलत मतलब से बचना न हो।

उसने उन रूहों को अपने कलाम से निकाल दिया।

यह ख़िलाफ़ है, 'ईसा ने एक से ज़्यादा लफ़्ज़ो का इस्तिमाल किया होगा। इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है, "'ईसा को एक ही बार कहने की ज़रूरत पड़ी और बदरुहें निकल गईं"। (देखें: rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-hyperbole)

जो कलाम यशायाह नबी के ज़रिए कहा गया था वह पूरा हो।

"'ईसा ने उस नबुव्वत को पूरा किया जो ख़ुदा ने यशायाह को इस्राइल पर ज़ाहिर करने लिए की थी"। (देखें: rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-activepassive)

यशायाह नबी के ज़रिए कहा गया था।

"जो यशायाह ने कहा था" (देखें: rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-activepassive)

हमारी कमज़ोरियो को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।"इन्सानों को बीमारी से छुड़ाकर और सेहत 'अता किया"। (देखें: rc://ur-deva/ta/man/translate/figs-doublet)