Thu May 11 2023 11:17:48 GMT+0545 (Nepal Time)
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d5f08e9e91
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aef6b213e4
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\v 3 \v 4 \v 5
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\v 5 \v 3 \v 4 पापी स्वभावसे कमजोर हुइके व्यवस्था जो न कर पाई बो परमेश्वर करी, अर्थात् बो अपन पुत्रके पापी शरीरके स्वरूपमे पापबली जैसो पठाई | अइसिए वह पापके शरिरैमे दण्ड दै, 4 जहेमारे व्यवस्थाके उचित जरुरत हममे पुरो होबै, हम जो पापमय स्वभाव अनुसार नाए, पर पवित्र आत्माअनुसार चलत हएँ| 5 काहेकी पाप स्वभाव अनुसार चलन बारे शरीरक बातमे मन लगात हएँ, पर आत्मा अनुसार चलन बारे आत्माकी बातमे मन लगात हएँ
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\v 6 \v 7 \v 8 7 तहु फिर सब आदमीमे त जा ज्ञान ना होत हए| पर गजब आदमीनके मूर्तिपूजा बनके बैठे होत हँए, कि बे अइसो खानु खात नेहत्व मूर्तिके चढाव मानत हँए, और बिनको विवेक दुर्वल भव हए जहेमारे अशुध्द होत हँए| 8 पर खान बारी चिज हमके परमेश्वरकी नजरमे जद्धा ग्रहण य
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\v 8 \v 6 \v 7 काहेकी पापमय स्वभावमे मन लगान त मृत्यु हए, पर पवित्र आत्मामे मन लगान जीवन और शान्ति हए| 7 काहेकी पाप स्वभावके शरीर घेन लागो मन त परमेश्वरके ताहीं शत्रु है| बो परमेश्वरको व्यवस्थक अधिनमे ना होत हए| न बा कबहु हुइ पै है | 8 पाप स्वभावके बशमे होनबारे परमेश्वरके खुसी ना कर पै हएँ
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