From aef6b213e4cf3cbc2f58df34cdf6a3605db4374c Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Thu, 11 May 2023 11:17:49 +0545 Subject: [PATCH] Thu May 11 2023 11:17:48 GMT+0545 (Nepal Time) --- 08/03.txt | 2 +- 08/06.txt | 2 +- 08/09.txt | 2 +- 3 files changed, 3 insertions(+), 3 deletions(-) diff --git a/08/03.txt b/08/03.txt index 87f0792..37bdae2 100644 --- a/08/03.txt +++ b/08/03.txt @@ -1 +1 @@ -\v 3 \v 4 \v 5 \ No newline at end of file +\v 5 \v 3 \v 4 पापी स्वभावसे कमजोर हुइके व्यवस्था जो न कर पाई बो परमेश्वर करी, अर्थात् बो अपन पुत्रके पापी शरीरके स्वरूपमे पापबली जैसो पठाई | अइसिए वह पापके शरिरैमे दण्ड दै, 4 जहेमारे व्यवस्थाके उचित जरुरत हममे पुरो होबै, हम जो पापमय स्वभाव अनुसार नाए, पर पवित्र आत्माअनुसार चलत हएँ| 5 काहेकी पाप स्वभाव अनुसार चलन बारे शरीरक बातमे मन लगात हएँ, पर आत्मा अनुसार चलन बारे आत्माकी बातमे मन लगात हएँ \ No newline at end of file diff --git a/08/06.txt b/08/06.txt index 14b720b..2678cbd 100644 --- a/08/06.txt +++ b/08/06.txt @@ -1 +1 @@ -\v 6 \v 7 \v 8 7 तहु फिर सब आदमीमे त जा ज्ञान ना होत हए| पर गजब आदमीनके मूर्तिपूजा बनके बैठे होत हँए, कि बे अइसो खानु खात नेहत्व मूर्तिके चढाव मानत हँए, और बिनको विवेक दुर्वल भव हए जहेमारे अशुध्द होत हँए| 8 पर खान बारी चिज हमके परमेश्वरकी नजरमे जद्धा ग्रहण य \ No newline at end of file +\v 8 \v 6 \v 7 काहेकी पापमय स्वभावमे मन लगान त मृत्यु हए, पर पवित्र आत्मामे मन लगान जीवन और शान्ति हए| 7 काहेकी पाप स्वभावके शरीर घेन लागो मन त परमेश्वरके ताहीं शत्रु है| बो परमेश्वरको व्यवस्थक अधिनमे ना होत हए| न बा कबहु हुइ पै है | 8 पाप स्वभावके बशमे होनबारे परमेश्वरके खुसी ना कर पै हएँ \ No newline at end of file diff --git a/08/09.txt b/08/09.txt index 53fc820..e853c2f 100644 --- a/08/09.txt +++ b/08/09.txt @@ -1 +1 @@ -\v 9 \v 10 9 पर होशियार होबओ, तुमर जा स्वतन्त्रता दुर्वलके ताहिँ ठोकरको कारन ना बनए| 10 काहेकी कोई दुर्वल दिमाक भव आदमी तए ज्ञान भव आदमीके मूर्तिके मन्दिरमे खान बैठो देखि कहेसे, मूर्तिके चढओ खानबारी चिज खानके का बा हिम्मत ना करहए? \ No newline at end of file +\v 9 \v 10 \ No newline at end of file