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Rana_Tharu 2023-07-20 16:15:44 +08:00
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\v 8 अब बाको मालिक बा अधर्मी व्यवस्थापकको तारीफ करी काहेकी बा चलाकीसे काम करी रहए । काहेकी जा संसारको आदमी अपनी पुस्ताके और आदमीसंग व्यवहार करत ज्योतिके सन्तानसे और जध्धा चलाक होत हए । \v 9 मए तुमसे कहत हौ , अपनो तहि संसारको धनसे मित्र बनाबौ, और जब धन नास हुईहे , तव बे तुमके अनन्त वासस्थानमे स्वागत करए ।
\v 8 अब बाको मालिक बा अधर्मी व्यवस्थापकको तारीफ करी काहेकी बा चलाकीसे काम करी रहए । काहेकी जा संसारको आदमी अपनी पुस्ताके और आदमीसंग व्यवहार करत ज्योतिके सन्तानसे और जध्धा चलाक होत हए । \v 9 मए तुमसे कहत हौ , अपनो तहि संसारको धनसे मित्र बनाबौ, और जब धन नास हुईहे , तव बे तुमके अनन्त वासस्थानमे स्वागत करए ।

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\v 10 १०जौन थोरी बातमे इमानदार होत है, बा जध्धामे फिर इमानदार होत है, और जो थोरी बातमे बेमान होत है, बा जध्धामे फिर बेमान हित है । ११ \v 11 जहेमारे तुम संसारिक धनमे इमानदार ना हुई हओ कहेसे , तुमके साँचो धनको जिम्मा कौन देहए ? १२ \v 12 अगर तुम दुसरेक धनमे इमानदार ना हुई हओ कहेसे , तुमर अपनो धन तुमके कौन देहए ?
\v 10 जौन थोरी बातमे इमानदार होत है, बा जध्धामे फिर इमानदार होत है, और जो थोरी बातमे बेमान होत है, बा जध्धामे फिर बेमान हित है । \v 11 जहेमारे तुम संसारिक धनमे इमानदार ना हुई हओ कहेसे , तुमके साँचो धनको जिम्मा कौन देहए ? \v 12 अगर तुम दुसरेक धनमे इमानदार ना हुई हओ कहेसे , तुमर अपनो धन तुमके कौन देहए ?

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\v 13 १३कोई फिर निकर दुई मालिकको सेवा ना करपए हए, काहेकी बा एकके घृणा करके दुसरेके प्रेम करत हए , वा जा एक भक्त हुईके औरके तुच्छ मानत हए तुम परमेश्वर और धन दोनेके सेवा ना कर पए हौन । "
\v 13 कोई फिर निकर दुई मालिकको सेवा ना करपए हए, काहेकी बा एकके घृणा करके दुसरेके प्रेम करत हए , वा जा एक भक्त हुईके औरके तुच्छ मानत हए तुम परमेश्वर और धन दोनेके सेवा ना कर पए हौन । "

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