Mon Mar 06 2023 21:50:51 GMT+0545 (Nepal Time)
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\v 43 \v 44 43 मए अपने दौवाके नाउँमे आओ हौ, पर तुम मोके ग्रहण नाए कर्तहौ । और दुस्रो कोई अपन नाउँमे आईगओ बाके तुम ग्रहण करलेहौ ।
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44 तुम कैसे बिश्वास करपैहौ, जब तुम आपसमे एक दुसरे से सम्मान ढुडत हौ, और बा सम्मान कि खोजी नाए करतहौ, जो एक मात्र परमेश्वरसे आतहए ।
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\v 45 \v 46 \v 47 45 "जा मत समझिओ कि मए दौवाके अग्गु तुमके दोष लगएहौ। तुमके दोष लगान बारो त मोसा हए, जौनमे तुम अपन आशा धरेहौ ।"
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46 कहेकी तुम मोशाके बिश्वास करते, तव मोहूके तुम बिशवास करते, कहेकी बा मिर बारेमे लिखिरहए ।
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47 पर तुम बाकी लिखि बातमे बिश्वास करेनाए तव, मिर बातमे कैसे बिश्वास करेहौ?”
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