From 16b1b65cce7978934b648ee6cfd7dc23d203977f Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Mon, 6 Mar 2023 21:50:52 +0545 Subject: [PATCH] Mon Mar 06 2023 21:50:51 GMT+0545 (Nepal Time) --- 05/43.txt | 2 ++ 05/45.txt | 3 +++ 2 files changed, 5 insertions(+) create mode 100644 05/43.txt create mode 100644 05/45.txt diff --git a/05/43.txt b/05/43.txt new file mode 100644 index 0000000..01948ef --- /dev/null +++ b/05/43.txt @@ -0,0 +1,2 @@ +\v 43 \v 44 43 मए अपने दौवाके नाउँमे आओ हौ, पर तुम मोके ग्रहण नाए कर्तहौ । और दुस्रो कोई अपन नाउँमे आईगओ बाके तुम ग्रहण करलेहौ । +44 तुम कैसे बिश्वास करपैहौ, जब तुम आपसमे एक दुसरे से सम्मान ढुडत हौ, और बा सम्मान कि खोजी नाए करतहौ, जो एक मात्र परमेश्वरसे आतहए । \ No newline at end of file diff --git a/05/45.txt b/05/45.txt new file mode 100644 index 0000000..6be0a00 --- /dev/null +++ b/05/45.txt @@ -0,0 +1,3 @@ +\v 45 \v 46 \v 47 45 "जा मत समझिओ कि मए दौवाके अग्गु तुमके दोष लगएहौ। तुमके दोष लगान बारो त मोसा हए, जौनमे तुम अपन आशा धरेहौ ।" +46 कहेकी तुम मोशाके बिश्वास करते, तव मोहूके तुम बिशवास करते, कहेकी बा मिर बारेमे लिखिरहए । +47 पर तुम बाकी लिखि बातमे बिश्वास करेनाए तव, मिर बातमे कैसे बिश्वास करेहौ?” \ No newline at end of file