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\v 39 लोगा बाँचनतक लोगाके बन्धनमे बैयर रहतहए| पर लोगा मरके पिच्छु बो इच्छा करो व्यक्तिसंग बो विहा करन स्वतन्त्र होतहए, पर बो प्रभुको जन होन पणतहए । \v 40 पर बो अइसी बैठैगित और खुशी होतहए, जा मेरो विचार हए, तव मए सम्झात हौ कि मिरमे फिर परमेश्वरको आत्मा हए|
\v 39 लोगा बाँचनतक लोगाके बन्धनमे बैयर रहतहए पर लोगा मरके पिच्छु बो इच्छा करो व्यक्तिसंग बो विहा करन स्वतन्त्र होतहए, पर बो प्रभुको जन होन पणतहए । \v 40 पर बो अइसी बैठैगित और खुशी होतहए, जा मेरो विचार हए, तव मए सम्झात हौ कि मिरमे फिर परमेश्वरको आत्मा हए

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\c 8 \v 1 1 अब मूर्तिके चढ़ो भव खानबारो चिजके बारेमे: हम जानतहँए, कि हमर सबएसंग ज्ञान हए| ज्ञान घमण्ड लात हए, पर प्रेम उन्नती करत हए| \v 2 2 "अगर कोई ""कछु जानत हौँ"" कहिके सोचत हए कहेसे, जितका जानत रहै उतनो ना जानत हए| " \v 3 3 अगर कोई परमेश्वरके प्रेम करत हए बाके परमेश्वर चीनत हए|
\c 8 \v 1 अब मूर्तिके चढ़ो भव खानबारो चिजके बारेमे: हम जानतहँए, कि हमर सबएसंग ज्ञान हए| ज्ञान घमण्ड लात हए, पर प्रेम उन्नती करत हए । \v 2 "अगर कोई ""कछु जानत हौँ"" कहिके सोचत हए कहेसे, जितका जानत रहै उतनो ना जानत हए " \v 3 3 अगर कोई परमेश्वरके प्रेम करत हए बाके परमेश्वर चीनत हए|

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