Thu May 11 2023 09:41:09 GMT+0545 (Nepal Time)

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\v 12 \v 13 10 परमेश्वर हमर ताहिँ पवित्र आत्मासे बो प्रकट करीरहए ,। काहेकी पवित्र आत्मा प्रत्येक बात ढुड्त रहए, परमेश्वरको गहिरो-गहिरो बात फिर ढुडी रहए । 11 काहेकी आदमी भितर रहो भव अपन आत्माबाहेक कौन आदमीको विचारके बुझत हए? अइसी यत परमेश्वरको विचार परमेश्वरको आत्माबाहेक कोइ बुझ ना पात् हए ।
\v 13 \v 12 अब हम संसारको आत्मा ना पाए हँए, पर परमेश्वर हमके दौ भव वरदान बुझ्न सिकएँ कहिके बोसेपवित्र आत्मा पाए हँए । 13 जौन बात प्रचार करत हँए, बे बात आदमीको बुध्दिसे सिखओ शब्दमे नैयाँ, पर पवित्र आत्मासे सिखओ भव अनुसार हम आत्मिक शब्दमे आत्मिक सत्यताको अर्थ खोलत हँए ।

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\v 14 \v 15 \v 16 14 जौन आदमी आत्मिक नैयाँ, बो परमेश्वरको आत्माको बात ग्रहण ना करत हए । काहेकी बे बात बोके ताहिँ मूर्खता होतहँए, और बोके ना बुझ पात हए, काहेकी बे बात आत्मिक रितिसे मात्र चिनन् सिकत हए| 15 आत्मिक आदमी सबए बातको जाँच करत हए, पर बो कोइ आदमीसे ना जाँचैगो । 16 "काहेकी कौन प्रभुको मनके जानो हए? और कौन बाके सिखान सकैगो?” पर हमरसंग त ख्रीष्टको मन हए । "