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बहुत बुरा माना

“क्रोधित होना” या क्रोध को पालना” का अर्थ है बहुत अप्रसन्‍न होना, ऊभ जाना, किसी बात के लिये मन आशांत हो जाना, और किसी का विरोध करना।

  • जब लोग गुस्सा होते हैं, यह अकसर पापमय और‍ स्वार्थी हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी यह धार्मिक क्रोध होता जो अन्‍याय और जुल्‍म के खिलाफ होता है।
  • परमेश्वर का क्रोध (वो भी क्रोध कहलाता है) पाप के विरुध उसकी गहिरी अप्रसन्‍नता को प्रकट करता है।
  • वाक्‍यांश “क्रोध को भड़काना” का अर्थ है “क्रोध का कारण बनना”

घरेलू

“ग्रहस्‍थी” शब्‍द घर में एक साथ रहने वाले सभी लोगों को दर्शाता है, परिवार के साथ सभी सदस्य और जो भी नौकर उनके यहाँ हैं।

  • यदि कोई ग्रहस्‍थी का प्रबन्ध करता है, इसमें नौकरों की अगुआई करने के साथ संपत्ति की निगरानी करना भी शामिल है।
  • कभी-कभी “ग्रहस्‍थी“ को पूरे परिवार के आदर्श रूप में दर्शाया जा सकता है, खास तोर पर उसके वंशज।

शुद्ध

“शुद्ध” होने का अर्थ कोई दोष नहीं और इसमें कुछ भी नहीं मिलाया गया जो उसमें नहीं होना चाहीए था। किसी को शुद्ध करना ही इस की सफाई है और किसी चीज को निकालना जो उसको अशुद्ध करता है।

  • पुराने नियम के विधी के अनुसार “शुद्धि” और “शुद्धीकरन” खास तौर उन चीजो से सफाई को दर्शाता है जो किसी व्‍याकित को या किसी चीज को धार्मिक तौर पर अशुद्ध करती है, जैसे कि बीमारी, शरीरक पीड़ा या बच्‍चे का जन्‍म।
  • पुराने नियम में भी विधी है जो लोगों को बताती है कि कैसे पाप से शुद्ध होना है अकसर जानवर की बली देने के द्वारा। यह कुछ ही समय के लिए था और बलीयों को बार-बार करते जाना होगा।
  • पुराने नियम में शुद्ध होना पापों से साफ होने को दर्शाता है।

परमेश्‍वर के भवन

बाईबल में वाक्‍यांश “परमेशवर का भवन“ और “यहोवा का घर“ उस स्‍थान को दर्शाता था यहां उसकी आराधना होती है।

  • यह शब्‍द खास तोर पर मिलाप के तंबु और मंदिर को दर्शाता है।
  • कभी-कभी “परमेश्वर का भवन” शब्‍द का इसतेमाल परमेश्वर के लोगों को दर्शाता है।

अन्नबलि

अन्नबलि एक अनाज की भेट थी और परमेश्वर को जो के आटे की भेंट थी अकसर होमबलि के बाद दी जाती थी

  • तेल और नमक अनाज के आटे में मिलाया जाता था परन्‍तु खमीर और शहद की मनाही थी।
  • अन्नबलि का कुछ हिस्‍सा जला दिया जाता था और कुछ याजकों के द्वारा इसका हिस्‍सा खाया जाता था।

लोबान

“लोबान शब्‍द” खुसबूदार मसालों के मिश्रण को दर्शाता है जो धूएँ के लिये जलाई जाती है जोकि सुखद सुघन्‍ध होती है।

  • परमेश्वर ने इस्राऐलीयों को लोबान भेट के रूप में जलाने को कहा था।
  • लोबान समान मात्रा में मिलाए हुए खास मसालों से परमेश्वर द्वारा दी गयी आज्ञा के अनुसार बनी होनी चाहीए

“लोबान की वेदी” एक खास वेदी की थी जो कि केवल लोबान को जलाने के लिऐ इसतेमाल होती थी।

  • लोबान दिन में चार बार भेंट की जाती थी, प्रार्थना के हर घंटे में।
  • लोबान की भेट परमेश्वर को उसके लोगो की प्रार्थना और आराधना को दर्शाता है।