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धर्म,धार्मिकता।

"धर्म" और "धार्मिकता" शब्द परमेश्‍वर की पूर्ण अच्छाई, न्याय, विश्वास और प्रेम को दर्शाती हैं। क्योंकि परमेश्‍वर धर्मी है, उसे पाप की निंदा करनी चाहिए।

  • ये शब्‍द अक्‍सर ऐसे व्यक्ति का वर्णन करने के लिए भी उपयोग किए जाते है जो परमेश्‍वर का पालन करते है, परमेश्‍वर को छोडकर कोई भी पुरी तरह से धर्मी नही है क्‍योकि सब लोगो ने पाप किया।
  • बाइबल को “धर्मी” कहने वाले लोगो के उदहारणो मे नूह अयूब, अब्राहम, जाकरियाह, और एलिज़ाबेथ शामिल हैं।
  • जब लोग खुद को बचाने के लिए यीशु पर भरोसा करते है, तो परमेश्‍वर उन्‍हे उनके पापो से मुक्‍त करता है और उन्‍हे यीशु कि धार्मिकता के आधार पर धर्मी घोषित करता है।

वाणी।

यह एक "शब्द" किसी ऐसी चीज को दर्शाता है जिसे किसी ने कहा है।

  • यह शब्द लगभग हमेशा एक शब्द नहीं बल्कि पूरे संदेश को दर्शाता है।
  • बाइबल में अक्‍सर “शब्‍द” परमेश्‍वर की कही गई बातों या आज्ञाओं को दर्शाता है, जैसे कि परमेश्‍वर का वचन “या” सत्‍य का वचन।
  • कभी-कभी “शब्‍द “ सामन्‍य रुप से भाषण को दर्शाता है, जैसे “शब्‍द“ और कर्म मे शक्तिशाली “जिसका अर्थ है “ भाषण और व्‍यवहार मे शक्‍तिशाली”।
  • इस शब्‍द का एक बहुत ही विशेष उपयोग है जब यीशु को “शब्‍द” कहा जाता है।

वफादार, विश्वासयोग्य।

परमेश्‍वर के हुकमो के अनुसार जीवित रहना। इसका मतलब है उसकी आज्ञा मानकर उसके प्रति वफादार रहना । वफादार होने की अवस्था या स्थिति "विश्वासयोग्यता" है।

  • एक व्यक्ति जो वफादार है, उस पर हमेशा अपने वादे और दूसरे लोगो के प्रति अपनी जिम्‍मेदारियो को पूरा करने के लिए भरोसा किया जा सकता है।
  • एक वफादार व्यक्ति किसी भी कार्य को करने के लिए होसला नही छोडता भले ही वह काम कठिन हो।