“उचित तो यह है कि अपने विश्वासी भाई को ठोकर खाने से बचाने के लिए मांस, मदिरा एवं ठोकरदायक कर्मों का त्याग कर दो” यहा “तू” दृढ़ विश्वासी के लिए तथा “भाई” विश्वास में दुर्बल जन के लिए है।