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जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है,

“इस प्रकार मसीह की सेवा करता है”

मनुष्यों में ग्रहण-योग्य ठहरता है

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “मनुष्य उसे स्वीकार करेंगे” या “मनुष्य उसका सम्मान करेंगे”

इसलिए हम उन बातों में लगे रहें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो

“हम परस्पर शान्ति के जीवन तथा विश्वास में अधिकाधिक दृढ़ता के जीवन का यत्न करें”।