hi_tn/rom/14/05.md

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कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर मानता है और कोई सब दिनों को एक समान मानता है।

"कोई तो" और "और कोई" इन दोनों व्याक्यांशों से यह एक ही बात को कहने के दो रूप समझ में आते हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “एक मनुष्य के विचार में एक दिन अन्य दिनों से बड़ा है परन्तु दूसरा सोचता है कि सब दिन समान हैं”

हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले

इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “प्रत्येक मनुष्य निश्चित कर ले कि वह प्रभु के महिमान्वन के लिए क्या कर रहा है”।

जो किसी दिन को मानता है वह प्रभु के लिए मानता है

“जो किसी दिन को विशेष मानकर आराधना करता है तो वह वास्तव में प्रभु ही की आराधना करता है”

और जो खाता है वह प्रभु के लिए खाता है

“और जो कैसा भी भोजन खाता है, वह प्रभु के सम्मान देने के लिए वह भोजन खाता है”

और जो नहीं खाता, वह प्रभु के लिए नहीं खाता

“और जो किसी प्रकार का भोजन नहीं खाता है, वह भी प्रभु ही के सम्मान के निमित्त ऐसा करता है”