hi_tn/rom/12/11.md

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पौलुस विश्वासियों को समझा रहा है कि उन्हें किस प्रकार के मनुष्य होना चाहिएं। सूची का आरंभ में हुआ है।

प्रयत्न करने में आलसी न हो

“अपने कर्तव्य पालन में आलसी न हो परन्तु आत्मा के अनुसरण के जिज्ञासु होकर प्रभु की सेवा करो”।

हियाव करो, आनन्दित रहो

“आनन्द करो कि हमारी हियाव परमेश्वर में है”

क्लेश में स्थिर रहो

यह एक नया वाक्य हो सकता है, “कठिन समयों में धीरज रखो”।

प्रार्थना में नित्य लगे रहो

यह एक नया वाक्य हो सकता है, “सदा प्रार्थना में लगे रहना मत भूलो”।

पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो उसमें उनकी सहायता करो।

यह उस सूची की अन्तिम बात है जो में आरंभ हुई, “पवित्र जनों की आवश्यकता में उनके साथ बाँटों” या “जहाँ तक... “ या “जब विश्वासी भाई परेशानी में हों तो उनकी आवश्यकता में सहायता करो।

पहुंनाई करने में लगे रहो

“जब उन्हें ठहरने का स्थान चाहिए तो अपने घरों में उनका स्वागत करो”