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फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें?

पौलुस प्रश्न पूछने के द्वारा मसीह का शुभ सन्देश उन लोगों तक पहुँचाने के महत्त्व पर बल देता है, जिन्होंने अब तक शुभ सन्देश ही सुना है। यहां “वे” उन लोगों के संदर्भ में है जो परमेश्वर के लोग नहीं हैं। वैकल्पिक अनुवाद, “जो परमेश्वर में विश्वास नहीं करते उसका नाम नहीं ले सकते हैं”

और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें?

पौलुस उसी कारण के निमित्त एक और प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “और वे उसमें विश्वास नहीं कर पाते। “या” यदि उन्होंने उसका सन्देश नहीं सुना होता”। या “यदि उन्होंने उसका सन्देश नहीं सुना तो उसमें विश्वास करना संभव नहीं”।

और प्रचारक बिना कैसे सुनें?

पौलुस फिर उसी कारण प्रश्न पूछता है। वैकल्पिक अनुवाद, “और यदि कोई सुनाए नहीं तो वे सन्देश नहीं सुन पाएंगे”

और यदि भेजे न जाएं तो कैसे प्रचार करें?

पौलुस फिर उसी कारण से प्रश्न पूछता है। यह परमेश्वर के लोगों के संबन्ध में कहा गया है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “और वे शुभ सन्देश सुना नहीं सकते यदि कोई उन्हें भेजे नहीं”।

उनके पांव क्या ही सुहावने हें जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं।

पौलुस का अभिप्राय “पांव” से है कि अमनशील प्रचारक उन लोगों में शुभ सन्देश सुनाते हैं, जिन्होंने कभी शुभ सन्देश नहीं सुना। वैकल्पिक अनुवाद, “यह अति मनोहर बात है कि सन्देशवाहक आकर हमें शुभ सन्देश सुनाते हैं”।