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मसीह व्यवस्था का अन्त है

“क्योंकि मसीह ने विधान के नियमों का पूर्णतः पालन किया”

हर एक विश्वास करनेवाले के लिए धार्मिकता के निमित्त।

“कि वह उसमें विश्वास करनेवाले हर एक मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित बना दे”।

धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है

“जैसे विधान के नियम मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराते हैं”

“जो मनुष्य उस धार्मिकता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह उसी से जीवित रहेगा”।

“विधान के नियमों के पालन में सिद्ध मनुष्य जीवित रहेगा, क्योंकि नियम उसे परमेश्वर के समक्ष न्यायोचित ठहराएंगे”

जीवित रहेगा

इसका संदर्भ 1) अनन्त जीवन से (यू.डी.बी.) या 2) परमेश्वर की संगति में नैतिक जीवन से है।