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पौलुस परमेश्वर की आज्ञापालन और अवज्ञा के लिए दासत्व की उपमा दे रहा है।
मनुष्यों की रीति पर कहता हूँ
पौलुस “पाप” और “आज्ञा पालन” को “दासत्व” के रूप में व्यक्त कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “मैं दासता की चर्चा करके पाप और आज्ञापान को समझाने का प्रयास कर रहा हूँ।
अपने अंगों की कुकर्म के लिए विवशता के कारण
पौलुस प्रायः “अंग” शब्द को आत्मा के विपरीत काम में लेता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि तुम आत्मिक बातों को पूर्णतः समझ नहीं पाते”।
अपने अंगों को कुकर्म के लिए और बुराई को सौप दिया।
यहाँ “अंगों” से अर्थ है संपूर्ण मनुष्यत्व। वैकल्पिक अनुवाद, “स्वयं को दास बनाकर हर एक बुरी एवं परमेश्वर को प्रसन्न न करने वाली बात।
अब अपने अंगों को पवित्रता के लिए धर्म के दास करके सौंपो।
“स्वामी को उचित काम के लिए परमेश्वर के समक्ष दास बनाओ जिससे कि वह तुम्हें पृथक करके उसकी सेवा के लिए सामर्थ्य प्रदान करे”।
अतः जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे।
अतः जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? - पौलुस इस प्रश्न द्वारा इस बात पर बल देता है कि पाप का परिणाम भलाई कभी नहीं होता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुमने उन बातों को करने में जिनसे अब तुम लज्जित होते हो कुछ भी लाभ प्राप्त नहीं किया।