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पाप ... राज न करे कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो

“पाप” .... को यहाँ मनुष्य का राजा या स्वामी जैसा दर्शाया गया है

अपनी मरणहार देह

यह उक्ति मनुष्य के शारीरिक अंगों के बारे में कहती है। जो वह मर जाएंगी। इसका वैकल्पिक अनुवाद है, “अपने को”

और न .... पाप को सौंपों

स्वामी “पाप” चाहता है कि पापी उसके स्वामी की आज्ञा मानकर बुरे काम करे”।

विश्वासी के लिए आवश्यक है वह अपने अंगों को धार्मिकता के साधन होने के लिए परमेश्वर के हाथों में दे दे।

यहाँ परिदृश्य यह है कि पापी अपनी देह के अंग उसके स्वामी के अधीन करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “अपने आप को पाप के अधीन मत करो कि जो उचित नहीं है वह करो”।

परन्तु अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा जानकर परमेश्वर को सौंपा।

“परन्तु स्वयं को परमेश्वर के अधीन करो क्योंकि उसने तुम्हें नया आत्मिक जीवन दिया है”।

और अपने अंगों को धर्म का हथियार होने के लिए परमेश्वर को सौंपा।

“परमेश्वर जिन बातों से प्रसन्न होता है उसके लिए अपनी देह को काम में आने दो”।

तुम पर पाप की प्रभुता न होगी।

“पाप की अभिलाषाएं तुम पर प्रभुता करके तुमसे काम न कराने पाए” या “जिन पाप की बातों को तुम करना चाहते हो उन्हें मत होने दो”।

क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं

इसका संपूर्ण अर्थ स्पष्ट किया जा सकता है, “क्योंकि तुम मूसा प्रदत्त विधान के अधीन नहीं जो तुम्हें पाप से बचने का सामर्थ्य प्रदत्त नहीं कर सकता है।

वरन् अनुग्रह के अधीन हो

इसका पूर्ण अर्थ उजागर किया जा सकता है, “परन्तु तुम परमेश्वर की कृपा से बन्धे हो जो तुम्हें पाप से बचने का सामर्थ्य प्रदान करती है”।