hi_tn/rom/03/05.md

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पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है।

यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता ठहरा देता है तो हम क्या कहें?

पौलुस इन शब्दों को उस काल्पनिक यहूदी के मुँह में रख रहा है जिससे वह बात कर रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि हमारी ईश्वर-भक्ति दर्शाती है कि परमेश्वर न्यायोचित है मैं एक प्रश्न पूछता हूँ”

क्या यह कि परमेश्वर जो क्रोध करता है, अन्यायी है?

यदि आप यह वैकल्पिक अनुवाद काम में ले रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि पाठक को समझ में आ जाए कि इसका उत्तर “नहीं” है। क्या परमेश्वर जो मनुष्यों पर क्रोध करता है, वह न्यायोचित नहीं है”?

यह मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूँ

“मैं एक अलग मनुष्य के सदृश्य कह रहा हूँ,

नहीं तो परमेश्वर कैसे जगत का न्याय करेगा?

पौलुस इस प्रभावोत्पाद प्रश्न द्वारा दर्शाता है कि मसीही शुभ सन्देश के विरूद्ध विवाद करना बेतुका है, क्योंकि सब यहूदियों का मानना है कि परमेश्वर मुनष्यों का न्याय कर सकता है वरन करता भी है और हम सब जानते हैं कि परमेश्वर वास्तव के संसार का न्याय करेगा”।