hi_tn/rom/02/25.md

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पौलुस एक काल्पनिक यहूदी से विवाद कर रहा है जिसे वह प्रभावजनक प्रश्नों द्वारा झिड़कता है।

खतने से लाभ हो

“मैं यह सच कहता हूँ, क्योंकि खतना करवाना निश्चय ही तुझे लाभ पहुँचाता है।”

यदि तू व्यवस्था को न माने

यदि तू व्यवस्था न माने - “यदि तू उन नियमों का पालन करे जो विधान में निहित हैं”

तो तेरा खतना, बिना खतना की दशा ठहरा

यह नियमों के उल्लंघन करनेवाले की तुलना उस मनुष्य से करता है जिसका शारीरिक खतना हो गया परन्तु वह इस विधि को विपरीत कर देता है। वह चाहे यहूदी हो, वह वास्तव में एक अन्यजाति ही हुआ। “यह तो ऐसा है जैसे तेरा खतना नहीं हुआ”

खतनारहित मनुष्य

“जिस मनुष्य का खतना नहीं हुआ”

व्यवस्था की विधियों को माना करे

“विधान में जो आज्ञाएं हैं उनका पालन करे”

तो क्या उसकी बिना खतना की दशा खतने के बराबर नहीं गिनी जायेगी?

पौलुस इस प्रश्न के द्वारा इस बात पर बल दे रहा है कि खतना अपने आप में मनुष्य को परमेश्वर के समक्ष धर्मी नहीं बनाता है। इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर तो उसे खतना किया हुआ ही मानेगा, “जिनका खतना नहीं हुआ वह तुझे... दोषी ठहराएगा”।

जो लेखा पाने और खतना किए जाने पर भी व्यवस्था को माना नहीं करता है।

“जिसके पास लिखित धर्मशास्त्र है और जिसका खतना भी हुआ है परन्तु नियमों का पालन नहीं करता”।