hi_tn/rom/02/01.md

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पौलुस यहाँ एक काल्पनिक यहूदी से विवाद करता है

इसलिए वे निरूत्तर हैं

यहाँ मूल भाषा में “अतः” का जो शब्द है वह एक नया अंश का आरंभ दर्शाता है साथ ही जो कहा जा चुका है उसका समाप्त भी दर्शाता है वैकल्पिक अनुवाद“क्योंकि परमेश्वर पाप करने वाले को दण्ड देता है, इसलिए वह निश्चय ही तेरे पापों को क्षमा नहीं करेगा”।

तू

यहाँ “तू” शब्द एक वचन में है। पौलुस यहां किसी वास्तविक मनुष्य से बातें नहीं कर रहा है, परन्तु वह विवाद करने वाले एक काल्पनिक मनुष्य से प्रतिवाद कर रहा है। पौलुस अपने श्रोतागण को सिखाने के लिए ऐसा विवाद कर रहा है कि परमेश्वर पाप करने वाले को अवश्य दण्ड देता है, वह चाहे यहूदी हो या अन्यजाति

तू जो दूसरों पर दोष लगाता है

यहाँ मूल भाषा में “तू” के स्थान में है मनुष्य तू जो उसकी झिड़की का संकेत देता है क्योंकि मनुष्य परमेश्वर का स्थान लेकर मनुष्य पर दोष लगाता है। इसका अनुवाद एक नए वाक्य में किया जा सकता है, “तू केवल एक मनुष्य है, परन्तु तू फिर भी मनुष्यों का न्याय करके कहता है कि वे परमेश्वर के दण्ड के योग्य हैं।”

जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है।

यहाँ एक नया वाक्य आरंभ किया जा सकता है, “सच तो यह है कि तू इस प्रकार अपना ही न्याय करता है क्योंकि तू भी तो वैसे ही दुष्टता के काम करता है”।

हम जानते हैं

यहाँ “हम” में मसीही विश्वासी एवं अविश्वासी यहूदी दोनों आते हैं।

परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा।

“परमेश्वर सच्चा एवं निष्कपट न्याय करता है”

ऐसे-ऐसे काम करने वाले

“जो दुष्टता के ऐसे काम करते हैं”