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सामान्य जानकारी

यह इस भजन के अंत के वचन से कहीं ज्यादा है ये भजन संहिता की पाँचवीं किताब का अंतिम वचन भी है

जितने प्राणी हैं

सारी जीवित सृष्टि परमेश्‍वर की स्तुति करे