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हे यहोवा, मनुष्य क्या है कि तू उसकी सुधि लेता है, या आदमी क्या है कि तू उसकी कुछ चिन्ता करता है

मनुष्य तेरी बनायी रचना में बहुत छोटा है, मैं हैरान हूँ कि फिर तू उसकी सुधि लेता है

मनुष्य, आदमी

मनुष्य के लिए उपयोग किए दो शब्द

साँस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।

लेखक इन चीजों की मनुष्य से तुलना करके उसके छोटे से जीवन को बताता है