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मेरे प्राण निकलने ही पर हैं
मैं बहुत निराश हूँ
मुझसे अपना मुँह न छिपा
कृप्या मुझसे अपना मुँह न छिपा
मुझसे अपना मुँह न छिपा
मेरी सुनने से इनकार न कर
मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ
मैं एक मृत हो जायूँगा
अपनी करुणा की बात मुझे सुना
मुझे अपनी करुणा की बात सुना
प्रातःकाल
हर सुबह
मुझ को बता दे
मुझे दिखा
जिस मार्ग पर मुझे चलना है
तू कैसे चाहता है कि मैं जियूँ
क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ
मैं तुम से प्रार्थाना करता हूँ