hi_tn/psa/119/131.md

492 B

मैं मुँह खोलकर हाँफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था

मैं तुम्हारी आज्ञाओं की अभिलाषा रखता हूँ

मेरी ओर भी फिरकर

मेरी ओर ध्यान लगा

अपने नाम के प्रीति

जो तुम्हे प्रेम करते हैं