hi_tn/psa/119/095.md

558 B

मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूँ

मैं इन्हे समझने की पूरी कोशिश करुँगा

प्रत्येक पूर्णता की सीमा होती है

सब चीजों का एक अंत होता है

परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा और सीमा से परे है

पर तेरी आज्ञाएं अनादि हैं