hi_tn/psa/119/037.md

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मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे

यह उन वस्तुओं के बारे में है जो अनादि नहीं हैं

तू अपने मार्ग में मुझे जिला

जैसे तु चाहता है मुझे वैसे जीना सिखा

मुझे जिला

मेरे जीवन को मजबूत बना

तेरा वादा जो तेरे भय माननेवालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर

जो वादा तूने तेरा आदर करने वालों से किया है उसे अपने दास के जीवन में पूरा कर

अपने दास

लेखक नम्रता से अपने आप को परमेश्‍वर का दास कहता है