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इसलिए कि वे परमेश्‍वर के वचनों के विरुद्ध चले और परमप्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना

यह दोनों बातें बताती हैं कि उन्होंने परमेश्‍वर के विरुद्ध कैसी बगावत की

उसने उनको कष्ट के द्वारा दबाया

उसने उनको कष्ट देकर नम्र किया

कष्ट

संकट, कठिन मिहनत

वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उनको कोई सहायक न मिला

वह संकट में पड गये और कोई सहायता करने वाला ना था

तब उन्होंने संकट में यहोवा की दुहाई दी

फिर उन्होंने संकट में यहोवा से प्रार्थना की

उनके संकट में

उनकी कठिनाईयों में

उद्धार किया

उनको इन सब से बाहर लाया, उनको बचाया