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944 B
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मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है
मेरे जीवित रहने का समय शाम की छाया के समान है जो शीघृ ही ढल जाएगी
और मैं आप घास के समान सूख चला हूँ।
मेरा शरीर सूखे घास के समान कमजोर पड गया है
सूख चला हूँ
सूखा हुआ और सिकुड़न से भरा
और जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
तुम आने वाली पीढ़ीयों के लिए पहचाने जायोगे
तेरा स्मरण
जिसे बहुत से लोग जानते हों