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तू मनुष्यों को धारा में बहा देता है; वे स्वप्न से ठहरते हैं
हे प्रभु तू लोगों को ऐसे नाश करता है जैसे वो धारा से बहाए जाते हैं
वे स्वप्न से ठहरते हैं
वे मर जाते हैं
वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हैं। वह भोर को फूलती और बढ़ती है, और सांझ तक कटकर मुर्झा जाती है
यहाँ लोगों की तुलना घास से करके बताया गया है कि उनका जीवन कितना छोटा है
वह भोर को फूलती और बढ़ती है
यह बढ़ना शुरू करता है
सांझ तक कटकर मुर्झा जाती है
यह बेजान हो कर सूख जाती है