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दुःख भोगते-भोगते मेरी आँखें धुँधला गई

आँखे दुख को आते देख कर थक गई हैं

अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूँ

“मैं तेरी ओर प्रार्थना में हात उठाता हूँ”

क्या तू मुर्दों के लिये अद्भुत काम करेगा?

तुम मुर्दों के लिये अद्भुत काम नहीं करते

क्या मरे लोग उठकर तेरा धन्यवाद करेंगे?

तुम जानते हो कि मुर्दे खड़े होकर तेरी स्तुति नहीं करेंगे