hi_tn/psa/078/038.md

661 B

वह अधर्म को ढाँपता

भले ही उन्होने दुष्टता के काम किये थे फिर भी उन्हे क्षमा कर दिया

अपने क्रोध को ठण्डा करता है,

भले ही वो उन पर क्रोधी था पर उन्हे सजा नहीं दी

अपनी जलजलाहट को पूरी रीति से भड़कने नहीं देता।

स्वयं को उन पर पूरी तरह क्रोधित होने नहीं दिया