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उनका भोजन उनके लिये फंदा हो जाए; और उनके सुख के समय जाल बन जाए

उनका भोजन उनके लिए फंदे जैसा हो…वो उनको के जाल के समान फँसा ले

उनका भोजन

“उनकाअपना भोजन” या ”उनके पर्व की दावत”

उनकी आँखों पर अंधेरा छा जाए

“कृप्या उन्हे अन्धा कर दे”

तू उनकी कटि को निरन्तर कँपाता रह

उनको इतना कमजोर कर दे कि वो कुछ न कर पाएँ

उनकी कटि को

“उनकी पीठ”