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मेरी मूर्खता

“वो मूर्खता की बातें जो मैंने की हैं“

मेरे दोष तुझ से छिपे नहीं हैं

“तुम मेरे पापों को जानते हो”

जो तेरी बाट जोहते हैं, वे मेरे कारण लज्जित न हो… जो तुझे ढूँढ़ते हैं, वह मेरे कारण अपमानित न हो

यह दोनों वचन लेखक की उस इच्छा को दर्शाते हैं जिस में वो चाहता है कि परमेश्वर अपने लोगों को बचाए

जो

उन्हे ऐसा न करने दे

जो तुझे ढूँढ़ते हैं, वह मेरे कारण अपमानित न हो

जो तेरा इन्तजार करते हैं उन्हे मेरे कारण अपमानित न होने दे

जो तुझे ढूँढ़ते हैं

जो तेरी आराधना और आज्ञाकारिता करते हैं