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चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं

यहाँ लेखक चराइयों पर भेड़-बकरियों होने को ऐसे बता रहा है जैसे उन्होंने पोशाक पहने हों

चराइयाँ

बड़े खेत यहाँ जानवर घास खाते हैं

भेड़-बकरियों

भेड़-बकरियों जैसे जानवरों का समूह

वे जयजयकार करती और गाती भी हैं

वो ऐसे लगते हैं जैसे जयजयकार करते और गातें हैं

वे जयजयकार करती …हैं

यहाँ “वे” चराइयाँ और तराइयाँ को कहा गया है।