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दुष्ट लोग जन्मते ही पराए हो जाते हैं... वे पेट से निकलते ही झूठ बोलते हुए भटक जाते हैं।

यहाँ एक ही विचार को दो अलग-अलग तरह से प्रकट किया गया है।

भटक जाते हैं।

“वह गलत काम करते है”

उनमें सर्प का सा विष है;

“उनके दुष्ट वचन सर्प के विष के समान लोगो को नुकसान पहुचाते है”

वे उस नाग के समान है, जो सुनना नहीं चाहता

“वह बोले सांप के समान सुनना नही चाहते जिसने अपने कान बंद कर लिए है“

नाग , जो सुनना नहीं चाहता

“एक सर्प जिसको सुनता नही है”

नाग

“एक तरह का जहरीला सांप“

सपेरा

“सांप को वष में करने के लिए संगीत बजाने वाले लोग”

कितनी ही निपुणता से क्यों न मंत्र पढ़े

”यह माइने नहीं रखता कि सपेरा कितना माहिर है”